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शीर्षक:- एक रेशमी धागे ने ही। दोस्तों चंचल मन को बांधा तो एक रेशमी धागे ने ही, हँसते हँसाते बंधना ख़ुद तोड़कर सारे बंधन ये हमने। क्या देखें कभी हमने पंछियों ...